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दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973

अध्याय 1

 प्रारंभिक

धारा 1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 है। यह अधिनियम 1 अप्रेल 1974 को लागु हुआ था।

धारा 2. परिभाषाएं- 

क.     (क) जमानतीय अपराध-

ख.    (ख) आरोप-

ग.     (ग) संज्ञेय अपराध-

घ.     (घ) परिवाद-

ङ.     (ङ) उच्च न्यायालय-

च.    (च) भारत-

छ.    (छ) जाँच-

ज.    (ज) अन्वेषण-

झ.    (झ) न्यायिक कार्यवाही-

ञ.    (ञ) स्थानीय अधिकारिता-

ट.     (ट) महानगर क्षेत्र-

ठ.     (ठ) असंज्ञेय अपराध-

ड.     (ड) अधिसूचना-

ढ.     (ढ) अपराध-

ण.    (ण) पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी-

त.     (त) स्थान-

थ.    (थ) प्लीडर-

द.     (द) पुलिस रिपोर्ट-

ध.    (घ) पुलिस थाना-

न.    (न) विहित-

ऩ.    (प) लोक अभियोजक-

प.    (फ) उपखण्ड-

ब.    (ब) समन मामला-

भ.   (भ)  वारंट मामला-

धारा 3. निर्देशों का अर्थ लगाना-

धारा 4. भारतीय दंड संहिता और अन्य विधियों के अधीन विचार-

धारा 5. व्यावृत्ति-

अध्याय 2

दंड न्यायालयों और कार्यालयों का गठन


धारा 6. दंड न्यायलयों के वर्ग-

धारा 7. प्रादेशिक खंड-

धारा 8. महानगर क्षेत्र-

धारा  9. सेशन न्यायालय-

धारा 10. सहायक सेशन न्यायाधीशों का अधीनस्थ होना-

धारा 11. न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालय-

धारा 12. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, आदि-

धारा 13. विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट-

धारा 14. न्यायिक मजिस्ट्रेटों की स्थानीय अधिकारिता-

धारा 15. न्यायिक मजिस्ट्रेटों का अधीनस्थ होना-

धारा 16. महानगर मजिस्ट्रेटों के न्यायालय-

धारा 17. मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट और अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट-

धारा 18. विशेष महानगर मजिस्ट्रेट-

धारा 19. महानगर  मजिस्ट्रेटों का अधीनस्थ होना-

धारा 20. कार्यपालक मजिस्ट्रेट-

धारा 21.विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट-

धारा 22. कार्यपालक मजिस्ट्रेटों की स्थानीय अधिकारिता-

धारा 23. कार्यपालक मजिस्ट्रेटों का अधीनस्थ होना-

धारा 24. लोक अभियोजक-

धारा 25. सहायक लोक अभियोजक-

धारा 25-क. अभियोजन निदेशालय-

अध्याय 3

न्यायालयों की शक्ति 

धारा 26. न्यायालय, जिनके द्वारा अपराध विचारणीय है-

धारा 27. किशोरों के मामले में अधिकारिता-

धारा 28. दण्डादेश, जो उच्च न्यायालय और सेशन न्यायाधीश दे सकेंगे-

धारा 29. दण्डादेश, मजिस्ट्रेट दे सकेंगे-

धारा 30. जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने पर कारावास का दण्डादेश-

धारा 31. एक ही विचारण में कई अपराधों के लिए दोषसिद्ध होने के मामलों में दण्डादेश-

धारा 32. शक्तियां प्रदान करने का ढंग-

धारा 33. नियुक्त अधिकारियों की शक्तियाँ-

धारा 34. शक्तियों को वापस लेना-

धारा 35. न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों की शक्तियों का उनके पद-उत्तरवर्तीयों द्वारा प्रयोग किया जा सकना-

अध्याय 4

क-वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की शक्तियाँ

धारा 36. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की शक्तियाँ-

ख-मजिस्ट्रेटों और पुलिस को सहायता 

धारा 37. जनता कब मजिस्ट्रेट और पुलिस की सहायता करेगी-

धारा 38. पुलिस अधिकारी के भिन्न ऐसे व्यक्ति को सहायता जो वारन्ट का निष्पादन कर रहा है-

धारा 39. कुछ अपराधों की इत्तिला का जनता द्वारा दिया जाना-

धारा 40. ग्राम के मामलों के सम्बन्ध में नियोजित अधिकारियों के कतिपय रिपोर्ट करने का कर्तव्य-

अध्याय 5

व्यक्तियों की गिरफ्तारी

धारा 41. पुलिस वारन्ट के बिना कब गिरफ्तार कर सकेगी-

धारा 41-क. पुलिस अधिकारी के समक्ष उपसंजात होने की नोटिस-

धारा  41-ख. गिरफ़्तारी की प्रक्रिया और गिरफ्तारी करने वाले अधिकारी का कर्तव्य-

धारा  41-ग . जिलों में नियंत्रण कक्ष-

धारा  41-घ. गिरफ्तार किये गये व्यक्ति का पूछताछ के दौरान अपनी पसंद के अधिवक्ता से मिलने का अधिकार-

धारा  42. नाम और निवास बताने से इन्कार करने पर गिरफ्तारी-

धारा  43. प्राइवेट व्यक्ति द्वारा गिरफ़्तारी और ऐसी गिरफ़्तारी पर प्रक्रिया-

धारा  44. मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ़्तारी-

धारा  45. सशस्त्र बलों के सदस्यों का गिरफ़्तारी से संरक्षण-

धारा  46. गिरफ़्तारी कैसे की जाएगी-

धारा  47. उस स्थान की तलाशी जिसमें ऐसा व्यक्ति प्रविष्ट हुआ है जिसकी गिरफ्तारी की जानी है-

धारा  48. अन्य अधिकारिताओं में अपराधियों का पीछा करना-

धारा  49. अनावश्यक अवरोध न करना-

धारा  50. गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों और अजमानत के अधिकार की इत्तिला दी जाना-

धारा  50-क. गिरफ्तारी करने वाले व्यक्ति की, गिरफ़्तारी, आदि के बारे में नामित व्यक्ति को सूचित करने की बाध्यता-

धारा  51. गिरफ्तार किये गये व्यक्तियों की तलाशी-

धारा  52. आक्रामक आयुधों का अभिग्रहण करने की शक्ति-

धारा  53. पुलिस अधिकारी की प्रार्थना पर चिकित्सा-

धारा  53-क. बलात्संग के अपराधी व्यक्ति की चिकित्सा व्यवसायी द्वारा परीक्षा-

धारा  54. गिरफ़्तारी व्यक्ति का चिकित्सा अधिकारी द्वारा परीक्षण-

धारा  54-क. गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान-

धारा  55. जब पुलिस अधिकारी वारंट के बिना गिरफ्तार करने के लिए अपने अधीनस्थ को प्रतिनियुक्त करता है तब प्रक्रिया-

धारा  55-क. गिरफ्तार व्यक्ति का स्वास्थ्य और सुरक्षा-

धारा  56. गिरफ्तार किये गए व्यक्ति का मजिस्ट्रेट या पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के समक्ष ले जाया जाना-

धारा  57. गिरफ्तार किये गए व्यक्ति का चौबीस घन्टे से अधिक निरुद्ध न किया जाना-

धारा  58. पुलिस का गिरफ्तारियों की रिपोर्ट करना-

धारा  59. पकड़े गये व्यक्ति का उन्मोचन-

धारा  60. निकल भागने पर पीछा करने और फिर पकड़ लेने की शक्ति-

धारा  60-क. गिरफ़्तारी कठोरतापूर्वक संहिता के अनुसार की जायेगी-

अध्याय 6

हाजिर होने को विवश करने के लिए आदेशिकाएं 

धारा  61. समन का प्रारूप-

धारा  62. समन की तामील कैसे की जाए-

धारा  63. निगमित निकायों और सोसाइटियों पर समन की तामिल-

धारा  64. जब समन किए गए व्यक्ति न मिल सकें तब तामिल-

धारा  65. जब पूर्व उपबन्धित प्रकार से तामिल न की जा सके तब प्रक्रिया-

धारा  66. सरकारी सेवक पर तामिल-

धारा  67. स्थानीय सीमाओं के बाहर समन की तामिल-

धारा  68. ऐसे मामलों में और जब तामिल करने वाले अधिकारी उपस्थित न हो तब तामिल का सबूत-

धारा  69. साक्षी पर डाक द्वारा समन की तामिल-

ख-गिरफ़्तारी का वारन्ट 

धारा  70. गिरफ़्तारी के वारन्ट का प्ररूप और अवधि-

धारा  71. प्रतिभूति लिए जाने का निदेश देने की शक्ति-

धारा  72. वारन्ट किसको निर्दिष्ट होंगे-

धारा  73. वारन्ट किसी भी व्यक्ति को निर्दिष्ट हो सकेंगे-

धारा  74. पुलिस अधिकारी को निर्दिष्ट वारन्ट-

धारा  75. वारन्ट के सार की सूचना-

धारा  76. गिरफ्तार किये गये व्यक्ति का न्यायालय के समक्ष अविलम्ब लाया जाना-

धारा  77. वारन्ट कहाँ निष्पादित किया जा सकता है-

धारा  78. अधिकारिता के बाहर निष्पादन के लिए भेजा गया वारन्ट-

धारा  79. अधिकारिता के बाहर निष्पादन के लिए पुलिस अधिकारी को निर्दिष्ट वारन्ट-

धारा  80. जिस व्यक्ति के विरुद्ध वारन्ट जारी किया गया है, उसके गिरफ्तार होने पर प्रक्रिया-

धारा  81. उस मजिस्ट्रेट द्वारा प्रक्रिया जिसके समक्ष ऐसे गिरफ्तार किया गया व्यक्ति लाया जाये-

ग- उद्घोषणा और कुर्की 

धारा  82. फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा-

धारा  83. फरार व्यक्ति की सम्पत्ति की कुर्की-

धारा  84. कुर्की के बारे में दावे और आपत्तियाँ-

धारा  85. कुर्क की हुई सम्पत्ति को निर्मुक्त करना, विक्रय और वापस करना-

धारा  86. कुर्क सम्पत्ति की वापसी के लिए आवेदन नामंजूर करने वाले आदेश से अपील-

घ-आदेशिकाओं सम्बन्धी अन्य नियम 

धारा  87. समय के स्थान पर या उसके अतिरिक्त वारन्ट का जारी किया जाना-

धारा  88. हाजिरी के लिए बन्धपत्र लेने की शक्ति-

धारा  89. हाजिरी का बन्धपत्र भंग करने पर गिरफ्तारी-

धारा  90. इस अध्याय के उपबन्धों का साधारणतया सामनों और गिरफ्तारी के वारंटों को लागू होना-

अध्याय 7

चीजें पेश करने को विवश करने के लिए आदेशिकाएं

क- पेश करने के लिए समन

धारा  91. दस्तावेज या अन्य चीजे पेश करने के लिए समन-

धारा  92. पत्रों और तारों के सम्बन्ध में प्रक्रिया-

ख-तलाशी-वारंट 

धारा  93. तलाशी- वारंट कब जरी किया जा सकता है-

धारा  94. उस स्थान की तलाशी, जिसमें चुराई हुई सम्पत्ति, कूटरचित दस्तावेज आदि होने का संदेह है-

धारा  95.  कुछ प्रकाशनों के समपहृत होने की घोषणा करने और उनके लिए तलाशी- वारंट जारी करने की शक्ति-

धारा  96. समपहरण की घोषणा को अपास्त करने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन-

धारा  97. सदोष परिरुद्ध व्यक्तियों के लिए तलाशी-

धारा  98. अपहृत स्त्रियों को वापस करने के लिए विवश करने की शक्ति-

ग-तलाशी सम्बन्धी साधारण उपबन्ध 

धारा  99. तलाशी-वारंटों का निदेशन आदि-

धारा  100. बंद स्थान के भारसाधक व्यक्ति तलाशी लेने देंगे-

धारा  101. अधिकारिता के परे तलाशी में पाई गई चीजों का व्ययन-

घ-प्रकीर्ण

धारा  102. कुछ सम्पत्ति को अभिगृहीत करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति-

धारा  103. मजिस्ट्रेट अपनी उपस्थिति में तलाशी ली जाने का निर्देश दे सकता है-

धारा  104. पेश की गई दस्तावेज आदि, को परिबद्ध करने की शक्ति-

धारा  105. आदेशिकाओं के बारे में व्यतिकारी व्यवस्था-

अध्याय 7-क 

कुछ मामलों में सहायता के लिए व्यतिकारी व्यवस्था तथा सम्पत्ति की कुर्की और समपहरण के लिए प्रक्रिया 

 धारा  105-क. परिभाषाएं-

(क) संविदाकारी राज्य

(ख) पहचान करना 

(ग) अपराध के आगम 

(घ) सम्पत्ति 

(ड) पता लगाना 

 धारा  105-ख. व्यक्तियों का अन्तरण सुनिश्चित करने में सहायता-

 धारा  105-ग. सम्पत्ति की कुर्की या समपहरण के आदेशों के सम्बन्ध में सहायता-

 धारा  105- घ. विधि-विरुद्धतया अर्जित सम्पत्ति की पहचान करना-

धारा  105- सम्पत्ति का अभिग्रहण या कुर्की-

धारा  105-च. इस अध्याय के अधीन अभिग्रहीत या समपहृत सम्पति का प्रबन्ध-

धारा  105-छ. सम्पत्ति के समपहरण की सूचना-

धारा  105-ज.कतिपय मामलों में सम्पत्ति का समपहरण-

धारा  105-झ. समपहरण के बदले जुर्माना-

धारा 105-ञ. कुछ अन्तरणों का अकृत और शून्य होना-

धारा  105-ट. अनुरोध-पत्र की बाबत प्रक्रिया-

धारा  105-ठ. इस अध्याय का लागु होना-

अध्याय- 8

परिशान्ति कायम रखने के लिए और अदाचार के लिए प्रतिभूति 

धारा  106. दोषसिद्धि पर परिशान्ति कायम रखने के लिए प्रतिभूति-

धारा  107. अन्य दशाओं में परिशान्ति कायम रखने के लिए प्रतिभूति-

धारा  108. राजद्रोहात्मक बातों को फ़ैलाने वाले व्यक्तियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति-

धारा  109. संदिग्ध व्यक्तियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति-

धारा  110. आभ्यासिक अपराधियों से सदाचार के लिए प्रतिभूति-

धारा  111. आदेश का दिया जाना-

धारा  112. न्यायालय में उपस्थित व्यक्ति के बारे में प्रक्रिया-

धारा  113. ऐसे व्यक्ति के बारे में समन या वारंट जो उपस्थित नहीं है-

धारा  114.समन या वारंट के साथ आदेश की प्रति होगी-

धारा  115. वैयक्तिक हाजिरी से अभिमुक्ति देने की शक्ति-

धारा  116. इत्तिला की सच्चाई के बारे जाँच-

धारा  117. प्रतिभूति देने का आदेश-

धारा  118. उस व्यक्ति का उन्मोचन जिसके विरुद्ध इत्तिला दी गई है-

धारा  119. जिस अवधि के लिए प्रतिभूति अपेक्षित की गई है उसका प्रारम्भ-

धारा  120. बन्द-पत्र की अन्तर्वस्तुएं-

धारा  121. प्रतिभुओं को अस्वीकार करने की शक्ति-

धारा  122. प्रतिभूति देने में व्यतिक्रम होने पर कारावास-

धारा  123. प्रतिभूति देने में असफलता के कारण करावासित व्यक्तियों को छोड़ने की शक्ति-

धारा  124. बन्दपत्र  की शेष अवधि के लिए प्रतिभूति-

अध्याय 9

पत्नी,सन्तान और माता-पिता के भरण-पोषण के लिए आदेश 

धारा  125. पत्नी,सन्तान और माता-पिता के भरण-पोषण के लिए आदेश-

धारा  126. प्रक्रिया-

धारा  127. भत्ते में परिवर्तन-

धारा  128. भरण-पोषण के आदेश का प्रवर्तन-

अध्याय 9

लोक व्यवस्था और परिशान्ति बनाए रखना 

क- विधि विरुद्ध जमाव 

धारा  129. सिविल बल के प्रयोग द्वारा जमाव  को तितर-बितर करना-

धारा  130. जमाव को तितर-बितर करने के लिए सशस्त्र बल का प्रयोग-

धारा  131. जमाव को तितर-बितर करने की सशस्त्र बल के कुछ अधिकारियों की शक्ति-

धारा  132. पूर्ववर्ती धाराओं के अधीन किये गये कार्यों के लिए अभियोजन से संरक्षण-

ख-लोक न्यूसेंस 

धारा  133. न्यूसेंस हटाने के लिए सशर्त आदेश-

धारा  134. आदेश की तामील या अधिसूचना-

धारा  135. जिस व्यक्ति को आदेश सम्बोधित है वह उसका पालन करेगा या कारण दर्शित करेगा-

धारा  136. उसके ऐसा करने में असफल रहने का परिणाम-

धारा  137. जहाँ लोक अधिकारी के अस्तितत्व से इन्कार किया जाता है, वहां प्रक्रिया-

धारा  138. जहाँ वह कारण दर्शित करने के लिए हाजिर है, वहां प्रक्रिया-

धारा  139. स्थानीय अन्वेंषण के लिए निर्देश देने और विशेषज्ञ की परीक्षा करने की मजिस्ट्रेट की शक्ति-

धारा  140. मजिस्ट्रेट की लिखित अनुदेश आदि देने की शक्ति-

धारा  141. आदेश अन्तिम कर दिए जाने पर प्रक्रिया और उसकी अवज्ञा के परिणाम-

धारा  142. जाँच के लम्बित रहने का व्यादेश-

धारा  143. मजिस्ट्रेट लोक न्यूसेंस की पुनरावर्ती या उसे चालू रखने का प्रतिषेध कर सकता है-

ग-न्यूसेंस या आशंकित खतरे के अर्जेंट मामले 

धारा  144. न्यूसेंस या आशंकित खतरे के अर्जेंट मामलों में आदेश जारी करने की शक्ति-

धारा  144-क. आयुध सहित जुलुस या सामूहिक क्वायद या सामूहिक प्रशिक्षण के प्रतिषेध की शक्ति-

घ-स्थावर सम्पत्ति के बारे में विवाद-

धारा  145. जहाँ भूमि या जल से सम्बन्ध विवादों से परिशान्ति भंग होना सम्भाव्य है, वहां प्रक्रिया-

धारा  146. विवाद की विषयवस्तु को कुर्क करने की और रिसीवर नियुक्त करने की शक्ति-

धारा  147. भूमि या जल के उपयोग के अधिकार से सम्बन्ध विवाद-

धारा  148. स्थानीय जाँच-

अध्याय 11

पुलिस का निवारक कार्य 

धारा  149. पुलिस का संज्ञेय अपराधों का निवारण करना-

धारा  150. संज्ञेय अपराधों के लिए जाने की परिकल्पना की इत्तिला-

धारा  151. संज्ञेय अपराधों का किया जाना रोकने के लिए गिरफ्तारी-

धारा  152. लोक सम्पत्ति की हानि का निवारण-

धारा  153. बाटों और मापों का निरिक्षण-

अध्याय 12

पुलिस को इत्तिला और उनकी अन्वेंषण करने की शक्तियां 

धारा  154. संज्ञेय मामलों में इत्तिला-

धारा  155. असंज्ञेय मामलों के बारें में इत्तिला और ऐसे मामलों का अन्वेषण-

धारा  156.  संज्ञेय मामलों का अन्वेंषण करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति-

धारा  157. अन्वेंषण के लिए प्रक्रिया-

धारा  158. रिपोर्ट कैसे दी जाएगी-

धारा  159. अन्वेंषण या प्रारम्भिक जाँच करने की शक्ति-

धारा  160. साक्षियों की हाजिरी की अपेक्षा करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति-

धारा  161. पुलिस द्वारा साक्षियों की परीक्षा-

धारा  162. पुलिस से किए गए कथनों का हस्ताक्षरित न किया जाना-

धारा  163. कोई उत्प्रेरणा न दिया जाना-

धारा  164. संस्वीकृतियों और कथनों को अभिलिखित करना-

धारा  164-क. बलात्संग के शिकार हुये व्यक्ति का शारीरिक परीक्षा-

धारा  165. पुलिस अधिकारी द्वारा तलाशी-

धारा  166. पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी कब किसी अन्य अधिकारी से तलाशी वारंट  जारी करने की अपेक्षा कर सकता है-

धारा  166-क. भारत के बाहर किसी देश या स्थान में अन्वेषण के लिए सक्षम प्राधिकारी को अनुरोध-पत्र-

धारा  166-ख. भारत के बाहर के  किसी देश या स्थान से भारत में अन्वेषण के लिए किसी न्यायालय या प्राधिकारी को अनुरोध-पत्र-

धारा  167. जब चौबीस घंटे के अन्दर अन्वेषण पूरा न किया जा सके तब प्रक्रिया-

धारा  167-क. मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ़्तारी पर प्रक्रिया-

धारा  168. अधीनस्थ पुलिस अधिकारी द्वारा अन्वेषण की रिपोर्ट-

धारा  169. जब साक्ष्य अपर्याप्त हो तब अभियुक्त को छोड़ा जाना-

धारा  170. जब साक्ष्य पर्याप्त है तब मामलों का मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया जाना-

धारा  171. परिवादी और साक्षियों से पुलिस अधिकारी के साथ जाने की अपेक्षा न किया जाना  और उसका अवरुद्ध न किया जाना-

धारा  172. अन्वेषण में कार्यवाहियों की डायरी-

धारा  173. अन्वेषण के समाप्त हो जाने पर पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट-

धारा  174. आत्महत्या, आदि पर पुलिस का जाँच करना और रिपोर्ट देना-

धारा  175. व्यक्तियों को समन करने की शक्ति-

धारा  176. मृत्यु के कारण की मजिस्ट्रेट द्वारा जाँच-

अध्याय 13

जांचो और विचारणों में दंड न्यायालयों की अधिकारिता-

धारा  177. जाँच और विचारण का मामूली स्थान-

धारा  178. जाँच या विचारण का स्थान-

धारा  179. अपराध वहां विचारणीय होगा जहाँ कार्य किया गया या जहाँ परिणाम निकला-

धारा  180. जहाँ कार्य अन्य अपराध से सम्बन्धित होने के कारण अपराध है, वहां विचारण का स्थान-

धारा  181. कुछ अपराधों की दशा में विचारण का स्थान-

धारा  182. पत्रों आदि द्वारा किए गये अपराध-

धारा  183. यात्रा या जलयात्रा में किया गया अपराध-

धारा  184. एक साथ विचारणीय अपराधों के लिए विचरण का स्थान-

धारा  185. विभिन्न सेशन खंडो में मामलों के विचारण का आदेश देने की शक्ति-

धारा  186. सन्देह की दशा में उच्च न्यायालय का वह जिला विनिश्चित करना जिसमे जाँच या विचारण होगा-

धारा  187. स्थानीय अधिकारिता के परे किए गए अपराध के लिए समन या वारंट जारी करने के शक्ति-

धारा  188. भारत से बाहर किया गया अपराध-

धारा  189. भारत के बहार किए गए अपराधों के बारे में साक्ष्य लेना-

अध्याय 14

कार्यवाहियां शुरू करने के लिए अपेक्षित शर्ते 


धारा  190. मजिस्ट्रेटों द्वारा अपराधों का संज्ञान-

धारा  191. अभियुक्त के आवेदन पर अन्तरण-

धारा  192. मामले मजिस्ट्रेटों के हवाले करना-

धारा  193. अपराधों का सेशन न्यायालयों द्वारा संज्ञान-

धारा  194. अपर और सहायक सेशन न्यायधीशों को हवाले किए गए मामलों पर उनके द्वारा विचारण-

धारा  195. लोक न्याय के विरुद्ध अपराधों के लिए और साक्ष्य में दिए गए दस्तावेजों से सम्बन्धित अपराधों के लिए लोक सेवकों के विधिपूर्ण प्राधिकार के अवमान के लिए अभियोजन-

धारा  195-क. धमकी इत्यादि देने की दशा में साक्षियों के लिए प्रक्रिया-

धारा  196. राज्य के विरुद्ध अपराधों के लिए और ऐसे अपराध करने के लिए आपराधिक षड़यंत्र के लिए अभियोजन-

धारा  197. न्यायाधीशों और लोक सेवकों का अभियोजन-

धारा  198. विवाह के विरुद्ध अपराधों के लिए अभियोजन-

धारा  198-क. भारतीय दंड संहिता की धारा 498-क के अधीन अपराधों का अभियोजन-

धारा  198-ख. अपराध का संज्ञान-

धारा  199. मानहानि के लिए अभिजोजन-

अध्याय 15

मजिस्ट्रेटों से परिवाद 

धारा  200. परिवादी की परीक्षा-

धारा  201. ऐसे मजिस्ट्रेट द्वारा प्रक्रिया जो मामले का संज्ञान करने के लिए सक्षम नहीं है-

धारा  202. आदेशिका के जारी किए जाने को मुल्तवी करना-

धारा  203. परिवाद का ख़ारिज किया जाना-

अध्याय 16

मजिस्ट्रेट के समक्ष कार्यवाही का प्रारम्भ किया जाना 

धारा  204. आदेशिका का जारी किया जाना-

धारा  205. मजिस्ट्रेट का अभियुक्त को वैयक्तिक हाजिरी से अभिमुक्ति दे सकना-

धारा  206. छोटे अपराधों के मामलों में विशेष समन-

धारा  207. अभियुक्त को पुलिस रिपोर्ट या अन्य दस्तावेजों की प्रतिलिपि देना-

धारा  208. सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय अन्य मामलों में अभियुक्त को कथनों और दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ देना -

धारा  209. जब अपराध अनन्यत: सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है तब मामला उसे सुपुर्द करना-

धारा  210. परिवाद वाले मामलों में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया और उसी अपराध के बारे में पुलिस अन्वेंषण-

अध्याय  17

आरोप 

क-आरोपों का प्रारूप 

धारा  211. आरोप की अन्तर्वस्तु-

धारा  212. समय, स्थान और व्यक्ति के बारें में विशिष्टयां-

धारा  213. कब अपराध किए जाने की रीती कथित की जानी चाहिए-

धारा  214. आरोप के शब्दों का वह अर्थ लिया जाएगा जो उसका उस विधि में है जिसके अधीन वह अपराध दण्डनीय है-

धारा  215. गलतियों का प्रभाव-

धारा  216. न्यायालय आरोप परिवर्तित कर सकता है-

धारा  217. जब आरोप परिवर्तित किया जाता है तब साक्षियों का पुनः बुलाया जाना-

ख- आरोपों का संयोजन 

धारा  218. सुभिन्न अपराधों के लिए प्रथक आरोप-

धारा  219. एक ही वर्ष में किये गए एक ही किस्म के तीन अपराधों का आरोप एक साथ लगाया जा सकेगा-

धारा  220. एक से अधिक अपराधों के लिए विचारण-

धारा  221. जहाँ इस बारे में संदेह है कि कौन सा अपराध किया गया है-

धारा  222. जब अपराध, जो साबित हुआ है, आरोपित अपराध के अंतर्गत है-

धारा  223. किन व्यक्तियों पर संयुक्त रूप से आरोप लगाया जा सकेगा-

धारा  224. कई आरोपों में से एक के लिए दोषसिद्धि पर  शेष आरोपों को वापस लेना-

अध्याय 18

सेशन न्यायालय के समक्ष विचारण 

धारा  225. विचारण का संचालन लोक अभियोजक द्वारा किया जाना-

धारा  226. अभियोजन के मामले में कथन का आरम्भ-

धारा  227. उन्मोचन-

धारा  228. आरोप विरचित करना-

धारा  229. दोषी होने के अभिवचन-

धारा  230. अभियोजन साक्ष्य के लिए तारीख-

धारा  231. अभियोजन के लिए साक्ष्य-

धारा  232. दोषमुक्ति-

धारा  233. प्रतिरक्षा आरम्भ करना-

धारा  234. बहस-

धारा  235. दोषमुक्ति या दोषसिद्धि का निर्णय-

धारा  236. पूर्व दोषसिद्धि-

धारा  237. धारा 199 (2) के अधीन संस्थित मामलों में प्रक्रिया-

अध्याय 19

मजिस्ट्रेटों द्वारा वारंट-मामलों का विचारण 

क- पुलिस रिपोर्ट पर संस्थित मामले

धारा  238. धारा 207 का अनुपालन-

धारा  239. अभियुक्त को कब उन्मोचित किया जाएगा-

धारा  240. आरोप विरचित करना-

धारा  241. दोषी होने के अभिवाक पर दोषसिद्धि-

धारा  242. अभियोजन के लिए साक्ष्य-

धारा  243. प्रतिरक्षा का साक्ष्य-

ख-पुलिस रिपोर्ट से भिन्न आधार पर संस्थित ममाले

धारा  244. अभियोजन का साक्ष्य-

धारा  245. अभियुक्त को कब उन्मोचित किया जाएगा-

धारा  246. प्रक्रिया, जहाँ अभियुक्त उन्मोचित नहीं किया जाता-

धारा  247. प्रतिरक्षा का साक्ष्य-

ग-विचारण की समाप्ति 

धारा  248. दोषमुक्ति या दोषसिद्धि-

धारा  249. परिवादी की अनुपस्थिति-

धारा  250. उचित कारण के बिना अभियोग के लिए प्रतिकार-

अध्याय 20

मजिस्ट्रेट द्वारा समन मामलों का विचारण 

धारा  251. अभियोग का सारांश बताया जाना-

धारा  252. दोषी होने के अभिवाक पर दोषसिद्धि-

धारा  253 . छोटे मामलों में अभियुक्त की अनुपस्थिति में दोषी होने के अभिवाक पर दोषसिद्धि-

धारा  254. प्रक्रिया जब दोषसिद्ध न किया जाए-

धारा  255. दोषमुक्ति या दोषसिद्धि-

धारा  256. परिवादी का हाजिर न होना या उनकी म्रत्यु-

धारा  257. परिवाद को वापस लेना-

धारा  258. कुछ मामलों में कार्यवाही रोक देने की शक्ति-

धारा  259. समन-मामलों को वारंट-मामलों में संपरिवर्तित करने की न्यायालय की शक्ति-

अध्याय 21

संक्षिप्त विचारण

धारा  260. संक्षिप्त विचारण करने की शक्ति-

धारा  261. द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेटों द्वारा संक्षिप्त विचारण-

धारा  262. संक्षिप्त विचारण की प्रक्रिया-

धारा  263. संक्षिप्त विचारणों में अभिलेख-

धारा  264. संक्षिप्त विचारित मामलों में निर्णय-

धारा  265. अभिलेख और निर्णय की भाषा-

अध्याय-21क 
अभिवाक सौदेबाजी 

धारा  265-क. अध्याय का लागु होना-

धारा  265-ख. अभिवाक सौदेबाजी के लिए आवेदन-

धारा  265-ग. पारस्परिक रूप से समाधानप्रद निपटारा के लिए दिशा- निर्देश-

धारा  265-घ. पारस्परिक रूप से समाधानप्रद निपटारा की रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश की जाएगी-

धारा  265-ड. मामले का निस्तारण-

धारा  265-च. न्यायालय का निर्णय-

धारा  265-छ. निर्णय की अन्तिमता-

धारा  265-ज. अभिवाक सौदेबाजी में न्यायालय की शक्ति-

धारा  265-झ. अभियुक्त द्वारा भुगती गई निरोध की अवधि का मुजरा कारावास के दण्ड के विरुद्ध किया जायेगा-

धारा  265-ञ. व्याव्रती-

धारा  265-ट. अभियुक्त के कथनों का प्रयोग नहीं किया जायेगा-

अध्याय 22

कारागारों में  परिरुद्ध या निरुद्ध व्यक्तियों की हाजिरी 

धारा  266. परिभाषाएं-

धारा  267. बन्दियों को हाजिर कराने की अपेक्षा करने की शक्ति-

धारा  268. धारा 267 के प्रवर्तन के कतिपय व्यक्तियों को अपवर्जित करने की राज्य सरकार की शक्ति-

धारा  269. कारागार के भारसाधक अधिकारी का कतिपय आकस्मिकताओं में आदेश को कार्यन्वित न करना-

धारा  270. बन्दी का न्यायालय में अभिरक्षा में लाया जाना-

धारा  271. कारागार में साक्षी की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करने की शक्ति-

अध्याय 23

जांचों और विचारणों में साक्ष्य 

क-साक्ष्य लेने और अभिलिखित करने का ढंग 

धारा  272. न्यायलयों की भाषा-

धारा  273. साक्ष्य का अभियुक्त की उपस्थिति में लिया जाना-

धारा  274. समन-मामलों और  जांचों में अभिलेख-

धारा  275. वारन्ट-मामलों में अभिलेख-

धारा  276. सेशन न्यायालय के समक्ष विचारण में अभिलेख-

धारा  277. साक्ष्य के अभिलेख की भाषा-

धारा  278. जब ऐसा साक्ष्य पूरा हो जाता है तब उसके सम्बन्ध में प्रक्रिया-

धारा  279. अभियुक्त या उसके प्लीडर को साक्ष्य का भाषान्तर सुनाया जाना-

धारा  280. साक्षी की भावभंगी के बारे में टिप्पणियाँ-

धारा  281. अभियुक्त की परीक्षा का अभिलेख-

धारा  282. दुभाषिया ठीक-ठीक भाषान्तर करने के लिए आबद्ध होगा-

धारा  283. उच्च न्यायालय में अभिलेख-

ख-साक्षियों की परीक्षा के लिए कमीशन 

धारा  284. कब साक्षियों को हाजिर होने से अभिमुक्ति दी जाए और कमीशन जारी किया जाएगा-

धारा  285. कमीशन किसको जारी किया जाएगा-

धारा  286.  कमिशनों का निष्पादन-

धारा  287. पक्षकार साक्षियों की परीक्षा कर सकेंगे-

धारा  288. कमीशन का  लौटाया जाना-

धारा  289. कार्यवाही का स्थगन-

धारा  290. विदेशी कमिशनों का निष्पादन-

धारा  291. चिकित्सीय साक्षी का अभिसाक्ष्य-

धारा  291-क. मजिस्ट्रेट की पहचान रिपोर्ट-

धारा  292. टकसाल के अधिकारीयों का साक्ष्य-

धारा  293. कतिपय सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञों की रिपोर्ट-

धारा  294. कुछ दस्तावेजों का औपचारिक साबुत आवश्यक न होना-

धारा  295. लोक सेवकों के आचरण के साबुत के बारे में शपथ पत्र-

धारा  296. शपथपत्र  पर औपचारिक साक्ष्य-

धारा  297. प्राधिकारी जिनके समक्ष शपथपत्रों पर शपथ ग्रहण किया जा सकेगा-

धारा  298. पूर्व दोषसिद्धि या दोषमुक्ति कैसे साबित की जाये-

धारा  299. अभियुक्त की अनुपस्थिति में साक्ष्य का अभिलेख-

अध्याय 24

जांचों तथा विचारणों के बारे में साधारण उपबन्ध 

धारा  300. एक बार दोषसिद्ध या दोषमुक्त किये गए व्यक्ति का उसी अपराध क्ले लिए विचारण न किया जाना-

301.लोक अभियोजकों द्वारा उपस्थिति।


302.अभियोजन का संचालन करने की अनुमति।


303.उस व्यक्ति के खिलाफ बचाव का अधिकार जिसके खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई है।


304. राज्य की कीमत पर कुछ मामलों में अभियुक्तों को कानूनी सहायता।


305.प्रक्रिया, जब निगम या पंजीकृत सोसायटी पर आरोप लगाया जाता है।


306.सहयोगी को क्षमा दान 


307.प्रत्यक्ष क्षमा करने की शक्ति।


308.क्षमा की शर्तों का पालन नहीं करने वाले व्यक्ति का परीक्षण।


309.कार्यवाही मुल्तवी या स्थगित करने की शक्ति।


310.स्थानीय निरीक्षण।


311.आवश्यक गवाह को बुलाने या उपस्थित व्यक्ति की परीक्षा करने की शक्ति,


311-ए.किसी व्यक्ति को नमूना हस्ताक्षर या हस्तलेखन देने का आदेश देने की  मजिस्ट्रेट की शक्ति।


312.शिकायतकर्ताओं और गवाहों के खर्चे..


313.आरोपी की जांच करने की शक्ति।


314.मौखिक बहस और बहस का ज्ञापन।


315.आरोपी व्यक्ति को सक्षम गवाह होना 


316.प्रकटीकरण को प्रेरित करने के लिए किसी भी प्रभाव का उपयोग नहीं करने के लिए।


317.कतिपय मामलों में अभियुक्तों की अनुपस्थिति में जांच और विचारण आयोजित करने का प्रावधान।


318.प्रक्रिया जहां अभियुक्त कार्यवाही को नहीं समझता है।


319.अपराध के दोषी प्रतीत होने वाले अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की शक्ति।  


320.अपराधों का योग।


321.मुकदमा वापस लेंना 


322.उन मामलों में प्रक्रिया जिनका निपटारा एक मजिस्ट्रेट द्वारा नहीं किया जा सकता है।


323.प्रक्रिया जब जांच या विचारण शुरू होने के बाद मजिस्ट्रेट को पता चलता है कि मामला सुपुर्द किया जाना चाहिए 


324.सिक्कों, स्टाम्प कानून या संपत्ति के खिलाफ अपराधों के लिए पूर्व में दोषी ठहराए गए व्यक्तियों का 


परीक्षण..


325.प्रक्रिया, जब मजिस्ट्रेट पर्याप्त कठोर दंड का आदेश नहीं दे सकता।


326.आंशिक रूप से किसी न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा और आंशिक रूप से किसी अन्य न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट

द्वारा दर्ज साक्ष्य पर दोषसिद्धि या सुपुर्दगी।


327.अदालतें खुली रहेंगी।

विक्रतचित्त अभियुक्त व्यक्तियों के बारे में उपबंध  


328.अभियुक्त के पागल होने की दशा में प्रक्रिया 


329.न्यायालय के समक्ष विचारित व्यक्ति के विक्रत चित होने की दशा में प्रक्रिया 


330.जांच या मुकदमे के लंबित रहने तक विकृत दिमाग वाले व्यक्ति की रिहाई... 


331.जांच या मुकदमे की बहाली...


332.मजिस्ट्रेट या न्यायालय के समक्ष अभियुक्त के हाजिर हिने पर प्रक्रिया 


333. जब ऐसा प्रतीत होता है कि अभियुक्त स्वस्थ दिमाग का है।


334. मानसिक अस्वस्थता के आधार पर बरी करने का फैसला…


335.ऐसे आधार पर बरी किए गए व्यक्ति की सुरक्षित अभिरक्षा में निरुद्ध किया जाना 


336.राज्य सरकार सत्ता के प्रभारी अधिकारी को कार्यों के निर्वहन के लिए सशक्त करेगी


337.जहां यह बताया जाता है कि पागल कैदी अपना बचाव करने में सक्षम है, वहां प्रक्रिया।


338.जहां हिरासत में लिए गए पागल को रिहा होने के लिए उपयुक्त घोषित किया जाता है, वहां प्रक्रिया।


339.किसी रिश्तेदार या दोस्त की देखभाल के लिए एक पागल का सोंपा जाना 


अध्याय 26

न्याय प्रशासन पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के बारे मैं 

340.धारा 95 में वर्णित मामलों में प्रक्रियां 

341. अपील

342.खर्चे का आदेश देने की शक्ति 

343.जहां मजिस्ट्रेट संज्ञान लेता है वहां प्रक्रिया।

344. झूठे साक्ष्य देने पर विचारण के लिए संक्षिप्त प्रक्रिया।  

345.अवमानना ​​के कतिपय मामलों में प्रक्रिया..

346. जहां न्यायालय की राय है कि मामले को धारा 345 के तहत आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए, वहां प्रक्रिया...

347. जब रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार को सिविल कोर्ट समझा जाएगा।

348.माफी मांगने पर अपराधी को रिहा करना।  

349. किसी व्यक्ति का कारावास या कारावास जो जवाब देने या दस्तावेज प्रस्तुत करने से इनकार करता है

 सुपुर्दगी.. 

 

350. सम्मन के उपस्थित न होने के लिए गवाह को दंडित करने की संक्षिप्त प्रक्रिया।

351. धारा 344, 345, 349 और 350 के तहत दोषसिद्धि से अपील।

352. कुछ न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों के समक्ष किए गए अपराधों का उनके द्वारा विचारण न किया जाना

अध्याय 27

निर्णय

353. निर्णय

354. निर्णय की भाषा और अर्न्तवस्तु

355. महानगर मजिस्ट्रेट का निर्णय

356. पूर्वतन सिद्धदोष अपराधी को अपने पते की सूचना देने का आदेश 357. प्रतिकर देने का आदेश

357- क. पीड़ित प्रतिकर योजना

357-ख. भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376-घ के अधीन प्रतिकर का जुर्माने के अतिरिक्त होना

357- ग. पीड़ितों का उपचार

358. निराधार गिरफ्तार करवाए गए व्यक्तियों को प्रतिकर 359. असंज्ञेय मामलों में खर्चा देने के लिए आदेश

360. सदाचरण की परिवीक्षा पर या भर्त्सना के पश्चात् छोड़ देने का आदेश

361. कुछ मामलों मे विशेष कारणों का अभिलिखित किया जाना

362. न्यायालय का अपने निर्णय में परिवर्तन न करना.

363. अभियुक्त और अन्य व्यक्तियों का निर्णय की प्रति का दिया जाना

364. निर्णय का अनुवाद कब किया जाएगा

365. सेशन न्यायालय  द्वारा निष्कर्ष और दण्डादेश की प्रति जिला मजिस्ट्रेट को भेजना

अध्याय 28

मृत्यु दण्डादेशों की पुष्टि के लिए प्रस्तुत किया जाना

366. सेशन न्यायालय द्वारा मृत्यु दण्डादेश का पुष्टि के लिए प्रस्तुत किया जाना 

367. अतिरिक्त जांच किए जाने के लिए या अतिरिक्त साक्ष्य लिए जाने के लिए निदेश देने की शक्ति

368. दण्डादेश को पुष्ट करने या दोषसिद्ध को साबित करने की उच्च न्यायालय की शक्ति . 

369. नए दण्डादेश की पुष्टि का दो न्यायाधीशों द्वारा हस्ताक्षरित किया जाना

370 मतभेद की दशा में प्रक्रिया

371. उच्च न्यायालय की पुष्टि के लिए प्रस्तुत मामलों में प्रक्रिया

अध्याय 29

अपीलें

372. जब तक अन्यथा उपबन्धित न हो किसी अपील का न होना

373. परिशान्ति कायम रखने या सदाचार के लिए प्रतिभूति अपेक्षित करने वाले या प्रतिभूति स्वीकार करने से इन्कार करने वाले या अस्वीकार करने वाले आदेश से अपील

374. दोषसिद्धि से अपील 

375. कुछ मामलों में जब अभियुक्त दोषी होने का अभिवचन करे, अपील न होना

376. छोटे मामलों में अपील न होना

377. राज्य सरकार द्वारा दण्डादेश के विरुद्ध अपील 

378. दोषमुक्ति की दशा में अपील

379. कुछ मामलों में उच्च न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध किए जाने के विरुद्ध अपील 

380. कुछ मामलों में अपील करने का विशेष अधिकार

381. सेशन न्यायालय में की गई अपीलें कैसे सुनी जाएंगी

382. अपील की अर्जी

383. जब अपीलार्थी जेल में है, तब प्रक्रिया 

384. अपील का संक्षेपतः खारिज किया जाना

385. संक्षेपतः खारिज न की गई अपीलों की सुनवाई के लिए प्रक्रिया

386. अपील न्यायालय की शक्तियाँ

387. अधीनस्थ अपील न्यायालय के निर्णय 

388. अपील में उच्च न्यायालय के आदेश को प्रमाणित करके निचले न्यायालय को भेजा जाना .......

389. अपील लम्बित रहने तक दण्डादेश का निलम्बन अपीलार्थी का जमानत पर छोड़ा जाना 

390. दोषमुक्ति से अपील में अभियुक्त की गिरफ्तारी

391. अपील न्यायालय अतिरिक्त साक्ष्य ले सकेगा या उसके लिए जाने का निदेश दे सकेगा

392. जहाँ अपील न्यायालय के न्यायाधीश राय के बारे में समान रूप में विभाजित हों, वहाँ प्रक्रिया 

393. अपील पर आदेशों और निर्णयों का अन्तिम होना

394. अपीलों का उपशमन

अध्याय 30.

निर्देश और पुनरीक्षण

395. उच्च न्यायालय को निर्देश

396. उच्च न्यायालय के विनिश्चय के अनुसार मामले का निपटारा 

397. पुनरीक्षण की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अभिलेख मंगाना

398. जांच करने का आदेश देने की शक्ति

399. सेशन न्यायाधीश की पुनरीक्षण की शक्तियाँ

400. अपर सेशन न्यायाधीश की शक्ति

401. उच्च न्यायालय की पुनरीक्षण की शक्तियाँ

402. उच्च न्यायालय की पुनरीक्षण के मामलों को वापस लेने या अन्तरित करने की शक्ति

403. पक्षकारों को सुनने का न्यायालय का विकल्प

404. महानगर मजिस्ट्रेट के विनिश्चय के आधारों के कथन पर उच्च न्यायालय द्वारा विचार किया जाना .... 

405. उच्च न्यायालय के आदेश को प्रमाणित करके निचले न्यायालय को भेजा जाना

अध्याय 31

आपराधिक मामलों का अन्तरण

406. मामलों और अपीलों को अन्तरित करने की उच्चतम न्यायालय की शक्ति

407. मामलों और अपीलों को अन्तरित करने की उच्च न्यायालय की शक्ति 

408. मामलों और अपीलों को अन्तरित करने की सेशन न्यायाधीश की शक्ति

409. सेशन न्यायधीशों द्वारा मामलों और अपीलों का वापस लिया जाना

410. न्यायिक मजिस्ट्रेटों द्वारा मामलों का वापस लिया जाना

411. कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा मामलों का अपने अधीनस्थ के हवाले किया जाना या वापस लिया जाना 

412. कारणों का अभिलिखित किया जाना

अध्याय 32

दण्डादेशों का निष्पादन, निलम्बन, परिहार और लघुकरण

क- मृत्यु दण्डादेश

413. धारा 368 के अधीन दिए गए आदेश का निष्पादन 

414. उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए मृत्यु दण्डादेश का निष्पादन

415. उच्चतम न्यायालय की अपील की दशा में मृत्यु दण्डादेश के निष्पादन का मुल्तवी किया जाना

416. गर्भवती स्त्री को मृत्यु दण्ड का मुल्तवी किया जाना

ख- कारावास

417. कारावास का स्थान नियत करने की शक्ति

418. कारावास के दण्डादेश का निष्पादन

419. निष्पादन के लिए वारण्ट का निदेशन 

420. वारण्ट किसको सौंपा जाएगा

ग- जुर्माने का उदग्रहण

421. जुर्माना उद्गृहीत करने के लिए वारण्ट

422. ऐसे वारण्ट का प्रभाव ......

423. जुर्माने के उद्ग्रहण के लिए किसी ऐसे राज्यक्षेत्र के न्यायालय द्वारा जिस पर इस संहिता का विस्तार नहीं है, जारी किया गया वारण्ट

424. कारावास के दण्डादेश के निष्पादन का निलम्बन

घ - निष्पादन के बारे में साधारण उपबन्ध

425. वारण्ट कौन जारी कर सकेगा

426. निकल भागे सिद्धदोष पर दण्डादेश कब प्रभावशील होगा 

427. ऐसे अपराधी को दण्डादेश जो अन्य अपराध के लिए पहले से दण्डादिष्ट है

428. अभियुक्त द्वारा भोगी गई निरोध की अवधि का कारावास के दण्डादेश के विरुद्ध मुजरा किया जाना

429. व्यावृत्ति 

430. दण्डादेश के निष्पादन पर वारण्ट का लौटाया जाना

431. जिस धन का संदाय करने का आदेश दिया गया है उसका जुर्माने के रूप में वसूल किया जा सकना

ड. - दण्डादेशों का निलम्बन, परिहार और लघुकरण

432. दण्डादेशों का निलम्बन या परिहार करने की शक्ति 433. दण्डादेश के लघुकरण की शक्ति

433 क. कुछ मामलों में छूट या लघुकरण की शक्तियों पर निर्बन्धन

434. मृत्यु दण्डादेशों की दशा में केन्द्रीय सरकार की समवर्ती शक्ति

435. कुछ मामलों में राज्य सरकार का केन्द्रीय सरकार से परामर्श करने का पश्चात् कार्य करना

अध्याय 33

जमानत और बन्धपत्रों के बारे में उपबन्ध

436. किन मामलों में जमानत ली जाएगी

436-क. अधिकतम अवधि जिसके लिये विचाराधीन कैदी निरुद्ध किया जा सकता है।

437. अजामनतीय अपराध की दशा में कब तक जमानत ली जा सकेगी

437- क. जमानत अभियुक्त से अगले अपील न्यायालय के समक्ष उपसंजात होने की अपेक्षा करेगी

438. गिरफ्तारी की आशंका करने वाले व्यक्ति की जमानत स्वीकृत करने के लिए निदेश

439. जमानत के बारे में उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय की विशेष शक्तियां

440. बन्धपत्र की रकम और उसे घटाना

441. अभियुक्त और प्रतिभुओं का बन्धपत्र

441 - क. प्रतिभुओं द्वारा घोषणा

442. अभिरक्षा से उन्मोचन

443. जब पहले ली गई जमानत अपर्याप्त है तब पर्याप्त जमानत के लिए आदेश देने की शक्ति

444 प्रतिभुओं का उन्मोचन

445. मुचलके के बजाय निक्षेप.

446. प्रक्रिया, जब बन्धपत्र समपहृत कर लिया जाता है। 446-क. बन्ध-पत्र और जमानत पत्र का रद्दकरण

447. प्रतिभू के दिवालिया हो जाने या उसकी मृत्यु हो जाने या बन्धपत्र का समहरण हो जाने की दशा में प्रक्रिया

448, अवयस्क से अपेक्षित बन्धपत्र

449. धारा 446 के अधीन आदेशों से अपील 

450. कुछ मुचलकों पर देय रकम का उदग्रहण करने का निदेश देने की शक्ति

अध्याय 34

सम्पत्ति का व्ययन

451. कुछ मामलों में विचारण लम्बित रहने तक सम्पत्ति की अभिरक्षा और व्ययन के लिए आदेश

452. विचारण की समाप्ति पर सम्पत्ति के व्ययन के लिए आदेश 

453. अभियुक्त के पास मिले धन का निर्दोष क्रेता को संदाय

454. धारा 452 या 453 के अधीन आदेशों के विरुद्ध अपील 

455. अपमानलेखीय और अन्य सामग्री का नष्ट किया जाना

456. स्थावर सम्पत्ति का कब्जा लौटाने की शक्ति 

457. सम्पत्ति के अभिग्रहरण पर पुलिस द्वारा प्रक्रिया

458. जहां छह मास के अन्दर कोई दावेदार हाजिर न हो, वहां प्रक्रिया 

459. विनश्वर सम्पत्ति की बेचने की शक्ति

अध्याय 35

अनियमित कार्यवाहियां

460. ते अनियमितताएं जो कार्यवाही को दूषित नहीं करती 

461. वे अनियमितताएं जो कार्यवाही को दूषित करती हैं।

462. गलत स्थान में कार्यवाही

463. धारा 164 या धारा 281 के उपबन्धों के अननुपालन 

464. आरोप विरचित न करने या उसके अभाव या उसमें गलती का प्रभाव

465. निष्कर्ष या दण्डादेश कब गलती, लोप या अनियमितता के कारण उलटने योग्य होगा

466. त्रुटि या गलती के कारण कुर्की का अवैध न होना

अध्याय 36

कुछ अपराधों का संज्ञान करने के लिए परिसीमा

467. परिभाषा

468. परिसीमा- काल की समाप्ति के पश्चात् संज्ञान का वर्जन

469. परिसीमा- काल का प्रारम्भ

470. कुछ दशाओं में समय का अपवर्जन

471. जिस तारीख को न्यायालय बन्द हो, उस तारीख का अपवर्जन

472. चालू रहने वाला अपराध

473. कुछ दशाओं में परिसीमा काल का विस्तारण

अध्याय 37

प्रकीर्ण

474. उच्च न्यायालयों के समक्ष विचारण

475. सेना न्यायालय द्वारा विचारणीय व्यक्तियों का कमान आफिसरों को सौंपा जाना

476. प्ररुप

477. उच्च न्यायालय की नियम बनाने की शक्ति

478. कुछ दशाओं में कार्यपालक मजिस्ट्रेटों को सौंपे गए कृत्यों को परिवर्तित करने की शक्ति 

479. वह मामला जिसमें न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट वैयक्तिक रूप से हितबद्ध है

480. विधि-व्यवसाय करने वाले प्लीडर का कुछ न्यायालयों के मजिस्ट्रेट के तौर पर न बैठना

481. विक्रय से सम्बद्ध लोक सेवक का सम्पत्ति का क्रय न करना और उसके लिए बोली न लगाना 

482. उच्च न्यायालय की अन्तर्निहित शक्तियों की व्यावृत्ति

483. न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालयों पर अधीक्षण का निरन्तर प्रयोग करने का उच्च न्यायालय का कर्तव्य

484. निरसन और व्यावृत्तियाँ



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