f आरटीआई से खुलासा ,बीते एक साल में 1.22 लाख झूठे मुकदमे दर्ज कराए।

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आरटीआई से खुलासा ,बीते एक साल में 1.22 लाख झूठे मुकदमे दर्ज कराए।

आरटीआई से खुलासा ,बीते एक साल में 1.22 लाख झूठे मुकदमे दर्ज कराए। 


आरटीआई से खुलासा ,बीते एक साल में 1.22 लाख झूठे मुकदमे दर्ज कराए। 

कहीं दहेज के लिए उत्पीड़न तो कहीं चकरोड के विवाद में रेप का आरोप, कहीं विरोधी पर दवाब बनाने की नीयत से छेड़खानी का केस तो कहीं दुश्मनी निकालने को दर्ज कराई गई चोरी-डकैती की रिपोर्ट ने जिंदगी तबाह कर दी।

नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने एक आरटीआई के जवाब में स्वीकार किया है कि बीते एक साल में 1.22 लाख से अधिक केस झूठे दर्ज कराए गए। विवेचना के दौरान इन मुकदमों में लगाए आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी। कानूनन किसी के साथ भी कुछ गलत हो रहा है तो वह न्याय पाने के लिए पुलिस के पास रिपोर्ट दर्ज करा सकता है।

 इन कानूनों के दुरुपयोग के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। लोग दूसरों के फंसाने और दुश्मनी निकालने के लिए भी इनका किस हद तक दुरुपयोग करते हैं, यह एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है। 

रामपुर के आरटीआई एक्टिविस्ट दानिश खां ने नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो से सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी कि बीते सालभर में देश में कितने केस दर्ज हुए और उनमें कितने मुकदमें झूठे पाए गए। 

एनसीआरबी ने जो जानकारी दी है, उसके अनुसार देश के सभी 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में साल भर में 272687 केस दर्ज किए गए, जिनमें से 122211 में विवेचना के दौरान आरोपों की पुष्टि नहीं पायी गई, यानी, ये झूठे साबित हुए।

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