ससुराल वालों को बेवजह फसाने के मामले बढ़े : हाई कोर्ट
पति-पत्नी के बीच होने वाले विवाद में अनेक बार ससुराल वालों को बेवजह फंसाने का प्रयास किया जाता है। कई घरेलू हिंसा के मामले तो ऐसे होते हैं, जिनमें ससुराल वालों की प्रत्यक्ष कोई भूमिका नहीं होती।
ऐसे मामलों में परिजनों पर एफआईआर इसलिए भी दर्ज कराई जाती है, ताकि सामने वाले पक्ष पर मानसिक दबाव बनाया जा सके। इस निरीक्षण के साथ हाई कोर्ट ने वाशिम निवासी एक महिला द्वारा ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज करए गए घरेलू हिंसा के मामले से मुक्त कर दिया है।
महिला की शिकायत थी कि उसका पति शराब का आदी था। वह अक्सर नशे में उसे मारता पीटता और गालियां देता था। एक दिन महिला ने अपने सास-ससुर, ननद और ननद के पति को सारी बात बताई। लेकिन महिला का साथ देने के बजाए ससुराल वालों ने पति का ही साथ दिया।
इतना ही नहीं, महिला के सांवले रंग को लेकर उसे ताने मारे। इसके बाद कई दिनों तक महिला ऐसे ही मानसिक प्रताड़ना की शिकार होती रही। उसके रंग-रूप को लेकर ससुराल वालों की टिप्पणियां भी बढ़ती गई।
इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने माना कि महिला द्वारा ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर में कहीं भी ससुराल वालों की स्पष्ट भूमिका नहीं नजर आती ।
प्रकरण में पति-पत्नी के बीच तलाक का मामला निचली अदालत में विचाराधीन है। ऐसे में बहुत ज्यादा संभावना है कि ससुराल वालों पर दबाव बनाने के उद्देश्य से यह एफआईआर खारिज की गई हो। हाई कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनकर ससुराल वालों पर दर्ज एफआईआर खारिज करने का आदेश दिया।
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