MP High Court: दुष्कर्म के झूठे मुकदमे की धमकी देना भी आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि दुष्कर्म की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी देना भी आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा है। न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया की पीठ ने महिला चिकित्सक व उसकी मां के विरुद्ध एफआइआर रद्द करने से इन्कार कर दिया।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि युवक सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था, आपराधिक प्रकरण में फंसने पर उसे सरकारी नौकरी नहीं मिलती। इसी वजह से परेशान होकर आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर मजबूर हो गया। इस मामले में आरोपित महिला चिकित्सक व उसकी मां के विरुद्ध आत्महत्या दुष्प्रेरण का मुक़दमा चलाने के लिऐ पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध है, इसलिए उनको फिलहाल राहत नहीं दी जा सकती।
दरअसल, युवक मकान गिरवी रखकर सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए इंदौर चला गया था। मानसिक तनाव के कारण उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था। वह बालाघाट आया तो पड़ोस में रहने वाली आवेदक डा. शिवानी निशाद ने दुष्कर्म व छेड़छाड़ का झूठा मुकदमा दर्ज करवाने की धमकी दी थी। युवक ने मंडला आकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने जांच के बाद आवेदक महिला चिकित्सक, उसकी मां सहित अन्य के विरुद्ध धारा 306 के तहत प्रकरण दर्ज किया था।
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