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New Law on Maintenance in hindi || भरण-पोषण पर नया कानून

New Law on Maintenance in hindi || भरण-पोषण पर नया कानून


वर्ष 2008 में दंपत्ति की शादी होती है, और शादी होने के बाद उनके एक लड़का और एक लड़की होती है जब उनके आपस में डिस्प्यूट पड़ जाते हैं तो जो लड़का होता है वह फादर के पास चला जाता है और जो बेटी होती है वह मां के पास चली जाती है जब डिस्प्यूट ज्यादा बढ़ता है तो हस्बैंड अल्टीमेटली एक डिवोर्स पिटीशन फाइल करते हैं जब डिवोर्स पिटीशन फाइल होती है तब साथ साथ वह वाइफ अपनी बेटी के साथ एक मेंटेनेंस एप्लीकेशन क्षेत्र 125 सीआरपीसी में भी फाइल कर देती है।

Section 125 सीआरपीसी ये कहता है कि अगर कोई पार्टनर अपने आप को मेंटेन करने में अनेबल है तो वह अदर परसन से अपना एक मेंटेनेंस क्लेम कर सकता है तो इसलिए वह माइनर डॉटर और वह मदर 125 सीआरपीसी में एप्लीकेशन फैमिली कोर्ट के सामने मूव करती है इसी बीच डिवोर्स ग्रांट हो जाता है डिवोर्स ग्रांट होने के बाद वह जो मेंटेनेंस एप्लीकेशन है फैमिली कोर्ट में पेंडिंग रहती है।

फैमिली कोर्ट दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह डायरेक्शन देती है की वाइफ को तो कोई मेंटेनेंस नहीं देना है क्योंकि आपने एलिमनी दे दी होगी लेकिन जो पुत्री  है उसके लिए हम आपको डायरेक्शन देते हैं कि आपको बीस हजार  रुपये प्रतिमाह  उसे माइनर बेटी को देना होगा।



इस आर्डर से एग्रीमेंट होकर वो जब फादर है जितेश शर्मा को पहुंचते हैं हाई कोर्ट में हाई कोर्ट में जाकर कहते हैं कि सर मेरा पहला बिजनेस चल रहा था मैं अच्छा काम रहा था लेकिन अब बिजनेस मेरा ठप हो गया है मैं इकोनामिक क्राइसिस में चल रहा हूं तो अब मैं इतना पेमेंट नहीं दे पाऊंगा तो प्लीज इसको रिड्यूस किया जाए हायकोर्ट विदाउट गोइंग इन एनी रीजनिंग और बिना कोई जजमेंट को फॉलो किया बीस हजार से सीधा हुआ अमाउंट घटकर साढ़े सात  हजार कर देती है।  


अब जब साढ़े सात हजार अमाउंट हो जाता है तो वह माइनर बेटी पहुंचती है सुप्रीम कोर्ट और वो ये अपना अरगुमेंट रहती है सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनी और माननीय सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया ने रजनीश वर्सेस नेहा के उन लैंडमार्क पर बात करी रजनीश वर्सेस नेहा में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मेंटेनेंस के केसेस में कभी वाइफ बड़ा चढ़ा कर लिख देती है और कई बार हस्बैंड अपनी आय को छुपा देते हैं तो ऐसी स्थिति से बचने के लिए हम एक डायरेक्शन देते हैं कि अब जो भी चाहे हस्बैंड हो चाहे वाइफ हो अगर मेंटेनेंस क्लेम कर रहा है तो उसको एक एफिडेविट फैमिली कोर्ट में पेश करना होगा उसे एफिडेविट में उनको लिखना पड़ेगा कि उनके पास क्या असेट्स है और क्या लायबिलिटी है और की दोनों पक्षों को देना होगा।  


सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया ने अपने दूसरे लैंडमार्क जजमेंट में यह कोट क्लियर कर चुकी है कि अगर डिवोर्स हो भी जाए तो भी फादर की रिस्पांसिबिलिटी बनती है कि वह अपने माइनर एंड सन या डॉटर की जब तक वह मेजोरिटी नहीं होते हैं जब तक 18 साल तक के नहीं होते उनकी प्रॉपर देखभाल करें और उसके लिए उनके मेंटेनेंस दे अब क्योंकि इस केस में भले ही उसका डाइवोर्स हो चुका है लेकिन उसकी जिम्मेदारी बनती है कि वह माइनर डॉटर की टेक केयर करें।  


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